मैं अकेला ही खुश हूँ अब, नहीं हाथों में अब मुझे तेरा हाथ चाहिए...! मैं अकेला ही खुश हूँ अब, नहीं हाथों में अब मुझे तेरा हाथ चाहिए...!
सूचित किया -- " स्थानाभाव के कारण, आपकी रचना का सदुपयोग नहीं कर पा रहे हैं , इसीलिए , ... सूचित किया -- " स्थानाभाव के कारण, आपकी रचना का सदुपयोग नहीं कर पा रहे...
इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं इन दिनों लाक डाउन के समय मैं अपनी हर सुबह एक नए तरीके से जीता हूं
लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते। लोग सपनों के महल बनाना नहीं छोड़ देते।
इन्सानियत से अपना, अब सरोकार ना रहा...! इन्सानियत से अपना, अब सरोकार ना रहा...!
शांति और बंधुत्व की भावना हर ओर बिखरी होगी। शांति और बंधुत्व की भावना हर ओर बिखरी होगी।